FACTS ABOUT HANUMAN CHALISA REVEALED

Facts About hanuman chalisa Revealed

Facts About hanuman chalisa Revealed

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श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।

– a retelling of your Ramayana in the Devanagari vernacular is considered as among his ideal do the job. Lots of claim that Tulsidas was a reincarnation of Valmiki who was the original composer the epic Ramayana in Sanskrit.

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

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बिना श्री राम, लक्ष्मण एवं सीता जी के श्री हनुमान जी का स्थायी निवास सम्भव भी नहीं है। इन चारों को हृदय में बैठाने का तात्पर्य चारों पदार्थों को एक साथ प्राप्त करने का है। चारों पदार्थों से तात्पर्य ज्ञान (राम), विवेक (लक्ष्मण), शान्ति (सीता जी) एवं सत्संग (हनुमान जी) से है।

क्या सच में हनुमान चालीसा नहीं पढ़नी चाहिए?

The Peshwa period rulers in 18th century town of Pune furnished endowments to much more Hanuman temples than to temples of other deities for instance Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in present time you will find extra Hanuman temples in town and the district than of other deities.[118]

Many people keep a partial or entire fast on both of Those people two days and recall Hanuman as well as the theology he signifies to them.[109]

.. और यही कारण है निराला जी तुलसीदास को कालिदास, व्यास, वाल्मीकि, होमर, गेटे और शेक्सपियर के समकक्ष रखकर उनके महत्त्व का आकलन करते हैं।

“Putting the ring of Lord Rama with your mouth, you jumped and flew around the Ocean to Lanka, there is absolutely no surprise in that.”

भावार्थ – अन्त समय में मृत्यु होने पर वह भक्त प्रभु के परमधाम (साकेत–धाम) जायगा और यदि उसे जन्म लेना पड़ा तो उसकी प्रसिद्धि हरिभक्त के रूपमें हो जायगी।

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